भाषा
अपने  दैनिक जीवन में  हम अपने विचार दूसरो तक  कैसे  पहुंचाते हैं?घर,दुकान,पाठशाला,बाजार  आदि सभी जगहों पर एक व्यकित को अपने मन के विचार दूसरो तक पहुंचाने पड़ते है,तभी वह उसकी  बात को समझ पाता है।
                          भाषा  का अर्थ
भाषा शब्द भाषा धातु  से बना है जिसका अर्थ है,वाणी। पशु-पक्षी भी अपनी-अपनी  आवाज़ में  अपनी भाव दूसरे तक पहुंचाते हैं,परंतु  कुछ भी बोलना भाषा नहीं है।
भाषा का अर्थ:-वह माध्मय है,जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचार/भावो का आदान-प्रदान करता है।
                              भाषा के भेद 
1:-मोौखिक भाषा:-इसमे एक व्यकित  बोलकर अपनी बात कहता है तथा सुनने वाला सुनकर उसकी बात को समझता है।
उदाहरण:-शिक्षक का कक्षा में बोलकर पढ़ना और छात्रों का सुनकर समझना।

2:-लिखित भाषा:-इसमे व्यकित लिखकर अपने विचार दूसरो तक पहुंचाता है तथा दूसरा व्यकित पढ़कर उसकी बात को समझता है
उदाहरण:-पिताजी को पुत्र द्वारा पत्र लिखना,किताब में से  कोई कहानी  पढ़ना ।

सांकेतिक भाषा:-इसमे एक व्यकित  अपनी बात  को कुछ संकेतों  का इस्तेमाल करके बताता है ।
उदाहरण:-मैच में  रेफरी का 4या 6रन का बनाना,टेैैफि क पुलिस का हाथ के इशारे से  रूकने  और आगे बढ़ने  का संकेत  करना। 

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