बोली
भाषा का क्षेत्रीय रुप बोली कहलाताहै।यह भाषा का कम विकसित रूप हैं। कुछ साहित्यकारो ने बोलियो में साहित्य की रचना की थी:, जैसे: गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस की(अवधी):,सूरदासने सुरसागर(ब्रजभाषा) में साहित्य की थी।बोली का विकास सीमित ही रहा। कुछ प्रमुख बोलियाँ हैं:- कन्नौजी,बाँँगडू,बघेेेली।
उपभाषा
जब बोली का क्षेत्र बडा़ हो है तब वह उपभाषा बन जाती हैं।उपभाषा में साहित्य रचना की जाती हैं।एक उपभाषा की अनेक बोलियाँ हो सकती हैं।
उपभाषाएँ बोलियाँ
1:- पश्चिमी हिंदी ब्रज भाषा,हरियादव,बुंंदेवी, कन्नौजी
2:- पूर्वी हिंदी अवधी ,वघेली ,छत्तीसगढ़ी
3:-राजस्थानी मारवाडी,मेवाती,जयपुरी,मालवी
4:-पहाडी़ हिन्दी गढ़़वाली,कुमआऊँँनी
5:-मागधी मगही,भोजपुरी,अंगिका
यह कुछ् उपभाषा और उनकी बोलियाँ हैं।
लिपि
लिपि का अर्थ:-हैं-लीपना।मुँँह से निकली ध्वनि को लिखने की विधि को लिपि कहते हैं।
प्रत्येक भाषा की अपनी लिपि होती हैं।
हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है।
भाषा लिपि
संस्कृत देवनागरी
मराठी देवनागरी
कश्मीरी देवनागरी
नेपाली देवनागरी
अंग्रेजी रोमन
जर्मन रोमन
उर्दू फारसी
पंजाबी गुरुमुखी
प्रत्येक लिपि को लिखने की विशेष विधि होती हैं।
जैसे-हिन्दी बाँँए से दाँँए की ओर लिखी जाती हैं।
उर्दू दाँँ से बाएं ओर लिखी जाती हैं।
उपभाषा
जब बोली का क्षेत्र बडा़ हो है तब वह उपभाषा बन जाती हैं।उपभाषा में साहित्य रचना की जाती हैं।एक उपभाषा की अनेक बोलियाँ हो सकती हैं।
उपभाषाएँ बोलियाँ
1:- पश्चिमी हिंदी ब्रज भाषा,हरियादव,बुंंदेवी, कन्नौजी
2:- पूर्वी हिंदी अवधी ,वघेली ,छत्तीसगढ़ी
3:-राजस्थानी मारवाडी,मेवाती,जयपुरी,मालवी
4:-पहाडी़ हिन्दी गढ़़वाली,कुमआऊँँनी
5:-मागधी मगही,भोजपुरी,अंगिका
यह कुछ् उपभाषा और उनकी बोलियाँ हैं।
लिपि
लिपि का अर्थ:-हैं-लीपना।मुँँह से निकली ध्वनि को लिखने की विधि को लिपि कहते हैं।
प्रत्येक भाषा की अपनी लिपि होती हैं।
हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है।
भाषा लिपि
संस्कृत देवनागरी
मराठी देवनागरी
कश्मीरी देवनागरी
नेपाली देवनागरी
अंग्रेजी रोमन
जर्मन रोमन
उर्दू फारसी
पंजाबी गुरुमुखी
प्रत्येक लिपि को लिखने की विशेष विधि होती हैं।
जैसे-हिन्दी बाँँए से दाँँए की ओर लिखी जाती हैं।
उर्दू दाँँ से बाएं ओर लिखी जाती हैं।
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