उच्चारण(Pronunciation)
मुँह अक्षरों बोलना उच्चारण कहलाता हैं। यदि अक्षरों उच्चारण सही ढंग नहीं किया जाए, तो भाषा अशुद्ध जाती हैं। हिन्दी भाषा में शुद्ध उच्चारण विशेष महत्व हैं।हिन्दी भाषा जैसा लिखा जा हैं, वैसे पढा र बोला जाता हैं। क्षेत्ररी प्रभाव कारण हिन्दी भाषा लिखने र बोलने में कुछ अशुद्ध होती हैं, उदाहरण के लिए:-' 'अ'','आ' संबंधी अशुद्धियाँ:-
अशुद्ध शुद्ध
अगामी आगामी
आधीन अधीन
सामजिक सामाजिक
आवश्यकता आवश्यकता
अलोचना आलोचना
नाराज नाराज
अदमी आदमी
तो आप देखा कि किस तरह मात्राओ की गलतियों से ही,हम अशुद्ध उच्चारण करते हैं।उच्चारण शुद्ध होगा तो लिखेंगे भी शुद्ध। किसी भी भाषा ज्ञान के लिए उस भाषा का उच्चारण शुद्ध होना बहुत जरूरी है।
''इ "ई "संबंधी अशुद्धियाँ
*******************
इसलीए इसलिए
तीथी तिथि
कवी कवि
वयकित व्यकित
मूरती मूर्ति
परिक्षा परीक्षा
बिमारी बीमारी
दिपावली दीपावली
निरस नीरस
अतीथि अतिथि
हानी हानि
दिवार दीवार
इस तरह की ग़लतियों से ही उच्चारण संबंधी अशुद्धि होती हैं।
"उ "ऊ" संबंधी अशुद्धियाँ
******************
साधू साधु
प्रभू प्रभु
हिन्दु हिन्दू
मुलय मूल्य
पशू पशु
धूआँ धुँआ
कूआँ कुआँ
दयालू दयालु
यहहै''ऊ" मात्रा संबंधी अशुद्धियाँ।
र और ऋ "संबंधी अशुद्धियों को अगले post में आपको बताऊंगी
अशुद्ध शुद्ध
अगामी आगामी
आधीन अधीन
सामजिक सामाजिक
आवश्यकता आवश्यकता
अलोचना आलोचना
नाराज नाराज
अदमी आदमी
तो आप देखा कि किस तरह मात्राओ की गलतियों से ही,हम अशुद्ध उच्चारण करते हैं।उच्चारण शुद्ध होगा तो लिखेंगे भी शुद्ध। किसी भी भाषा ज्ञान के लिए उस भाषा का उच्चारण शुद्ध होना बहुत जरूरी है।
''इ "ई "संबंधी अशुद्धियाँ
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इसलीए इसलिए
तीथी तिथि
कवी कवि
वयकित व्यकित
मूरती मूर्ति
परिक्षा परीक्षा
बिमारी बीमारी
दिपावली दीपावली
निरस नीरस
अतीथि अतिथि
हानी हानि
दिवार दीवार
इस तरह की ग़लतियों से ही उच्चारण संबंधी अशुद्धि होती हैं।
"उ "ऊ" संबंधी अशुद्धियाँ
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साधू साधु
प्रभू प्रभु
हिन्दु हिन्दू
मुलय मूल्य
पशू पशु
धूआँ धुँआ
कूआँ कुआँ
दयालू दयालु
यहहै''ऊ" मात्रा संबंधी अशुद्धियाँ।
र और ऋ "संबंधी अशुद्धियों को अगले post में आपको बताऊंगी
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